डा० संजय कुमार
आश्रय अधिकार अभियान वर्ष 2010 में एक पंजीकृत संस्था के रूप में प्रकाश में आयी । जैसा कि इसके नाम से ही विदित होता है कि यह उन लोगों को आश्रय का अधिकार दिलाने का अभियान है जो बेघर हैं और अपने बुनियादी हक़ो से बहुत दूर है।
हलांकि आश्रय अधिकार अभियान वर्ष 2000 से ही घरातल पर कार्य कर रही है ! पहले यह एक अंतराष्ट्रीय संस्था Action Aid की एक आंतरिक कार्यक्रम के तौर पर सीधे कार्य कर रही थी ! यहां समाज के कई क्षेत्र के लोगों ने अपना सहयोग और योगदान प्रदान किया । कुछ लोग एक्शन एड के कर्मचारी के तौर पर तो कुछ लोग एक स्वैक्षिक कार्यकर्ता के रूप में काम किया। वर्ष 2002- 2006 तक के समयांतराल में यहां कार्यरत ज्यादातर कर्मचारी अपने बेहतर भविष्य की तलाश में संस्था को छोड कही और चले गए। संस्था के समक्ष अपने अस्तित्व को बचाने और बेघर लोगों के साथ प्रत्यक्ष जुड़कर कार्य करने वाली संस्थाओं की कमी दिख रही थी। इस विपरीत परिस्थिति में आगे भी इसके संचालन को एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया और इसी का परिणाम के रूप में आज का आश्रय अधिकार अभियान है !
परमजीत कॉर
जून 2003 के बाद संस्था जिस गति और विस्तार से बेघरों के लिए जो कार्य किये वह ना सिर्फ दिल्ली शहर बल्कि संपूर्ण भारत वर्ष में मील के पत्थर साबित हुए। चाहे वह आश्रय, निर्माण,प्रबंधन एवं पैरवी का प्रयास हो या आदर्श आश्रयगृह संचालन की बात हो ,चाहे वह नागरिकता या पहचान की बात हो या स्वास्थ्य या मानसिक स्वास्थ्य की बात हो , बेघर सन्देश हो या बेघर महापंचायत , क्षमता निर्माण हो या दक्षता विकास , रोजगार सृजन हो या स्वैक्षिक कार्यकर्ता संगठन , शोध हो या पालिसी , मिडिया या न्ययपालिका हस्तक्षेप हो , या शैक्षणिक समुदाय के हजारो छात्रों को प्रशिक्षित करने का काम हो या भिक्षावृति निवारण अधिनियम हो प्रत्येक क्षेत्र में हमने अग्रणी भूमिका निभा कर लाखो जिंदिगियो को सांवरा है !
हमने अपने संस्था के नींव में बेघर लोगो की प्रत्यक्ष भूमिका, उनका योगदान, उनसे संबंधों को महत्व और आशा से भरे बेहतर भविष्य को सुनिश्चित किया है और यही हमारी वास्तविक शक्ति और पूँजि है जो निरंतर प्रेरणा बन कर हमें गतिशील बनाए रखती है।
पंजीकृत आश्रय अधिकार अभियान के संस्थापक सदस्य परमजीत कौर और डा० संजय कुमार बताते हैं कि वैसे तो कोई भी संस्था चलाना और धन जुटाना एक मुश्किल कार्य है लेकिन हमारे लिए यह कुछ ज्यादा ही मुश्किलभरा था । कई स्तर पर हमे घोर कठिनाईयों का सामना करना पड़ा लेकिन एकतरफ जहाँ हम अपने काम और प्रतिबद्धता के साथ जुड़े थे तो दूसरी ओर स्थायित्व के लिए संघर्ष कर रहे थे !
वर्ष 2010 से लेकर अभी-तक का सफर भी बेहद उपयोगी और आकर्षक रहा। हम एक स्वतंत्र ,पंजीकृत और मजबूत संस्था के तौर पर न सिर्फ स्थापित हुए बल्कि बेहद मुस्तैदी के साथ बहुत सारे महत्वपूर्ण कार्यों को बेघरों एवं समाज के आखिरी कतार के लोगों को समर्पित भी किया।